alkainmumbai
alkainmubai...its my blog about mumbai... ये मेरे ख्वाबों ख्यालो की दुनियां नही लेकिन.. जब आ गयी हूँ.. तो दो पल कयाम करती चलूं..
Sunday, December 25, 2011
hello friends ..
कल जुहू गयी थी..मुंबई के जुहू चौपाटी..यंहा के लोग बहुत पसंद करते हैं जुहू-बीच .पर इस फोटो के लिए मुझे समन्दर मैं काफी अन्दर तक जाना पड़ा तब जाके कंही ऐसी जगह मिल पाई...
क्योंकि सिक्के का दूसरा पहलू आपको देखती हूँ...
ये है असली जुहू..यकायक तो मुझे लगा की कहीं कुम्भ के मेले मैं तो नहीं आ गयी..?या आज सारा शहर सडकों पर उतर आया है?पर ये लोग ऐसे ही हैं..खूब काम करते हैं और खूब मजे लेते हैं जीवन के..
यंहा के लोग अपने जीवन को बहुत injoy करते हैं .,इनको सडकों पर लगे लम्बे जाम से कोई शिकायत नही होती..,ये अपने जीवन से बहुत खुश रहते हैं मेरी तरह नहीं होते जब सब मस्ती मैं डूबे थे तो मैं ये सोचने मैं व्यस्त थी कि सब इतने खुश रहते कैसे हैं?कितनी अजीब हूँ मैं..
Thursday, December 22, 2011
जीवन के हैं रंग अनेक
मीठे-कडवे अनुभव
से भरा ये जीवन ..
क्या कुछ तेरा क्या कुछ मेरा ?
क्षण भर की ये एक कहानी..
....पता है जब हमारा बचपन शुरू होता है तो हमें पता ही नही होता की ये कितना अनमोल है...हम अपने जीवन मैं चाहे कितने ही सोपान चढ़ लें .किसी भी ऊंचाई पर पहुँच जाएँ ,.पर जंहा से हमारे बचपन के दिन शुरू होते हैं हमारी स्कूली शिक्षा जंहा होती हैं हमारी साँसे भी वंही अटक जाती हैं..हमारी नब्ज वंही धडकती है..उसी स्कूल मैं..आप चाहे कितनी भी दूर चले जाओ ..पर अप वो दिन कभी नही भूल सकते जंहा अपने अपनी जिन्दगी की शुरआत की थी..
मैं यंहा आज मुंबई मैं हूँ काफी महीनो से पर आज भी अगर रात मैं जाग जाऊं तो मेरा मन मुझे घसीट के वंही ले जाता है आज भी डूबती रहती हूँ..उन्ही यादो के साए मैं..
मीठे-कडवे अनुभव
से भरा ये जीवन ..
क्या कुछ तेरा क्या कुछ मेरा ?
क्षण भर की ये एक कहानी..
....पता है जब हमारा बचपन शुरू होता है तो हमें पता ही नही होता की ये कितना अनमोल है...हम अपने जीवन मैं चाहे कितने ही सोपान चढ़ लें .किसी भी ऊंचाई पर पहुँच जाएँ ,.पर जंहा से हमारे बचपन के दिन शुरू होते हैं हमारी स्कूली शिक्षा जंहा होती हैं हमारी साँसे भी वंही अटक जाती हैं..हमारी नब्ज वंही धडकती है..उसी स्कूल मैं..आप चाहे कितनी भी दूर चले जाओ ..पर अप वो दिन कभी नही भूल सकते जंहा अपने अपनी जिन्दगी की शुरआत की थी..
मैं यंहा आज मुंबई मैं हूँ काफी महीनो से पर आज भी अगर रात मैं जाग जाऊं तो मेरा मन मुझे घसीट के वंही ले जाता है आज भी डूबती रहती हूँ..उन्ही यादो के साए मैं..
Tuesday, December 20, 2011
about me..
अलका इन मुंबई ब्लागस्पॉट डॉट कॉम
12 /20 /2011
नमस्कार..
उससे पहले कि मैं मुंबई में रहने के अपने अनुभव आपसे बांटूं, मुझे अपना परिचय दे देना चाहिए। मेरा नाम अलका है। मैं भारतीय हूँ। मुझे मुंबई में आए ७ महीने बीत चुके हैं...
७ महीनो से इंडिया के एक बड़े से शहर मुंबई मैं हूँ..इसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है...
भीड़ से भरा है ये शहर..आप जंहा भी जायेंगे किसी नदी की तरह उफनती भीड़ आपका पीछा नही छोड़ने वाली..जिन्हें अपने एकांत से प्यार है या जो अपनी दुनिया सिर्फ अपने इर्द-र्द बना लेते हैं उनके लिए इस शहर मैं कुछ नही है..ये शहर हमेशा जागता रहता है..आप समन्दर के किनारे जाकर शांति तलाश करना चाहो तो वंहा कई युगल मिल जायेंगे..बहुत सारे लोग उन्हें ताकते हुए भी मिल जायेंगे ..सब मिल जायेगा..पर शांति की तलाश आपकी अधूरी रह जाएगी..
आप मुझ से पूछें उससे पहले मैं खुद से पूछ लेती हूँ .,ये ब्लॉग मैं क्यों लिखना चाहती हूँ..? कुछ बातें हैं जो मैं बतना चाहती हूँ,.पर इससे बड़ा सच ये भी है कि मैं इस ब्लॉग के सहारे अपने मन मैं झांक लूँगी..कुछ पगडंडियाँ ऐसी होती हैं जिन पर चलने के लिए स्वंय को तलाशना पड़ जाता है..तो ये ब्लॉग बस इसी कोशिश का नाम है...या यूँ कंहू तो स्वयं के दरिया मैं डूबने-उतरने की एक कहानी भर..भीतर की यात्रएं कितनी सार्थक होती हैं ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता है..
मुझे पता ही नहीं था कि यहाँ इतनी बारिश होती है। शुरू में मैं अकसर कंही आते-जाते भीग जाती थी फिर मैं ने छाता खरीदा और हरदम उसे साथ रखना शुरू किया।
अभी मैंने MCA करना शुरू कर दिया है..और कोशिर कर रही हूँ जीवन मैं कुछ नया करने की..यूँ तो मुझे कम्प्यूटर पढना पसंद नही था..पर हाँ धीरे धीरे सीखने लगी हूँ तो अच्छा लगने लगा है..
पोस्टेड एट ६:३०पी.ऍम.
12 /20 /2011
नमस्कार..
उससे पहले कि मैं मुंबई में रहने के अपने अनुभव आपसे बांटूं, मुझे अपना परिचय दे देना चाहिए। मेरा नाम अलका है। मैं भारतीय हूँ। मुझे मुंबई में आए ७ महीने बीत चुके हैं...
७ महीनो से इंडिया के एक बड़े से शहर मुंबई मैं हूँ..इसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है...
भीड़ से भरा है ये शहर..आप जंहा भी जायेंगे किसी नदी की तरह उफनती भीड़ आपका पीछा नही छोड़ने वाली..जिन्हें अपने एकांत से प्यार है या जो अपनी दुनिया सिर्फ अपने इर्द-र्द बना लेते हैं उनके लिए इस शहर मैं कुछ नही है..ये शहर हमेशा जागता रहता है..आप समन्दर के किनारे जाकर शांति तलाश करना चाहो तो वंहा कई युगल मिल जायेंगे..बहुत सारे लोग उन्हें ताकते हुए भी मिल जायेंगे ..सब मिल जायेगा..पर शांति की तलाश आपकी अधूरी रह जाएगी..
आप मुझ से पूछें उससे पहले मैं खुद से पूछ लेती हूँ .,ये ब्लॉग मैं क्यों लिखना चाहती हूँ..? कुछ बातें हैं जो मैं बतना चाहती हूँ,.पर इससे बड़ा सच ये भी है कि मैं इस ब्लॉग के सहारे अपने मन मैं झांक लूँगी..कुछ पगडंडियाँ ऐसी होती हैं जिन पर चलने के लिए स्वंय को तलाशना पड़ जाता है..तो ये ब्लॉग बस इसी कोशिश का नाम है...या यूँ कंहू तो स्वयं के दरिया मैं डूबने-उतरने की एक कहानी भर..भीतर की यात्रएं कितनी सार्थक होती हैं ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता है..
मुझे पता ही नहीं था कि यहाँ इतनी बारिश होती है। शुरू में मैं अकसर कंही आते-जाते भीग जाती थी फिर मैं ने छाता खरीदा और हरदम उसे साथ रखना शुरू किया।
अभी मैंने MCA करना शुरू कर दिया है..और कोशिर कर रही हूँ जीवन मैं कुछ नया करने की..यूँ तो मुझे कम्प्यूटर पढना पसंद नही था..पर हाँ धीरे धीरे सीखने लगी हूँ तो अच्छा लगने लगा है..
पोस्टेड एट ६:३०पी.ऍम.
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